दास्ताँ - ऐ- मोहब्बत
इश्क में आपके, हमारा बड़ा बुरा हाल है,
रात भर बातें करे आप, और नींदें हमारी हलाल है!
हम कहें तो उल्लू, और वही बात आप कहो तो कमाल है,
और जवाब अगर मांगो, तो बेतुके हमारे सवाल है?
न खाने का होश न पिने का, ऐसे मिले आपके ताल है,
कर देंगे हमको पागल एक दिन, ऐसा मचाया आपने बवाल है!
तोहफे मिले आपको, और छूटता हमारा माल है,
फस गए हम जिस में, कैसा ये जंजाल है!
जब से हुई सगाई आपकी, कुछ बदली बदली सी चाल है,
देखते हैं आइना हमेशा, पर चेहरा क्यों रहता लाल है?
पर, इन्ही अदाओं पे आपकी तो जीजी भी हमारी निहाल है,
अब हम क्या करे, बन के रह गए बेहाल है!
इतना सब कुछ कह गए हम, पर बातें आपकी चलती अन्तरकाल है,
अब आप ही बताइए, क्या ग़लत हमारा ख्याल है ??
4 comments:
मुहब्बत की दास्तान ही कमबख्त होती है ऐसी - दीदी-जीजू की मुहब्बत के किस्से जमाने में फैल रहे हैं...
सुंदर कविता समर्पित की है आपने. आपकी अपनी दीदी से असीम मुहब्बत भी झलकती है.
Bahut khushnasib hote hai woh..Jinhe yeh badhaali nasib hoti hai...:o)
Warna sabko kanha mauka milta hai didi-jiju ki khinchai karne ka...;o)
Hi,
I read ur poems. And I know its urs. Nice work u have got man.
I also have bumped into the poem stuff lately. You can see my poem at :-
www.jayparker21.blogspot.com
-- Jay.
REALLY LIKED IT...GOOD 1 PRITI..
DISCOVERED URE NEW ASPECT......
Post a Comment